मिशन एयर पॉल्यूशन कंट्रोल: इंदौर और भोपाल में ग्रीन व्हीकल्स से रिप्लेस होंगे डीजल वाहन
दोनों शहरों में नगर निगम ने की शुरूआत ।अगले चरण में बाकी नगर निगमों की आएगी बारी ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत वर्ष अपने मध्यप्रदेश प्रवास के दौरान पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंता जताई थी।
प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के साथ ही राज्य़ की राजधानी भोपाल में नगर निगम में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। दोनों शहरों के नगर निगम अब डीजल से चलने वाले वाहनों की संख्या में तेजी से कटौती करने जा रहा हैं। इंदौर में इसकी विधिवत शुरूआत स्वतंत्रता दिवस से हो गई, जहां पचास नए ई-वाहनों को नगर निगम में कचरा एकत्र करने के लिए तैनात किया गया है और इसके बदले में डीजल से चलने वाले पचास कचरा वाहनों को सेवा से अलग किया गया है। भोपाल में भी ऐसी ही तैयारी की गई है और यहां भी चरणबद्ध तरीके से ई-वाहनों के साथ ही ग्रीन एनर्जी से चलने वाले वाहनों से डीजल व्हीकल्स को रिप्लेस किया जाएगा। विगत वर्षों में एमपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (एमपीपीसीबी) ने एक निजी संस्था के जरिए कराई गई रिसर्च में उजागर हुआ था कि दोनों महानगरों में सरकारी वाहनों के साइलेंसर के जरिए निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण का अहम फैक्टर है और इसमें सबसे बड़ा बेड़ा दोनों शहरों के नगर निगम के पास है।
ऐसे आई दोनों शहरों में “क्लीन” के साथ “ग्रीन” बदलाव की बयार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत वर्ष अपने मध्यप्रदेश प्रवास के दौरान पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने अपने भाषण में क्लीनेस्ट सिटी ऑफ इंडिया इंदौर की तारीफ करते हुए क्लीन के साथ ग्रीन सिटी के कटन्सेप्ट को अपनाने की सीख दी थी। इंदौर और भोपाल को लेकर प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी पर्यावरण संरक्षण पर फोकस करने के निर्देश अफसरों को देते रहते थे। इसके बाद विगत दिनों इंदौर आए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने इंदौरवासियों से शहर को पॉल्यूशन फ्री बनाने की डिंमांड रखते हुए इसके टिप्स दिए, तो मामला सुर्खियों में आ गया। गड़करी के रवाना होते ही तत्काल प्रभाव से ही सरकार और अफसर इंदौर और भोपाल को क्लीन एंड ग्रीन सिटी के मुताबिक डेवलप करने का प्लान बनाने लगे। प्रदेश के नगरीय प्रशासऩ मंत्री भूपेंद्र सिंह का दावा है कि आने वाले एक साल के भीतर काफी हद तक दोनों शहरों के नगर निगम डीजल के बजाय ग्रीन एनर्जी से चलने वाले वाहनों का उपयोग करेंगे। इसके साथ ही राज्य सरकार आने वाले समय में सरकारी वाहनों की खरीद में डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करने पर भी विचार कर सकती है।
सीएनजी में कन्वर्ट होंगे हजारों डीजल वाहन
भोपाल में नगर निगम और उसके अधीन आने वाली सिटी सर्विस के पास लगभग 3500 और इंदौर में नगर निगम के लगभग 4000 वाहन हैं जो डीजल से चलते हैं। इनमें सिटी बस, गारबेज कैरियर के अलावा, टैंकर, डंपर, जीप, लोडिंग व्हीकल, एक्सकेवेटर, रोड-रोलर, सीवेज पंप मशीन, फायर फाइटर्स, बुलडोजर, ट्रेक्टर और अन्य मशीनरी शामिल है। भोपाल नगर निगम में वाहन शाखा के प्रभारी इंजीनियर चंचलेश पंवार के मुताबिक नगर निगम के वाहनों में 90 फीसदी से ज्यादा तादाद डीजल व्हीकल्स की है। एमपीपीसीबी की रिपोर्ट में यह तथ्य़ भी उजागर हुआ था कि इंदौर और भोपाल नगर निगमों के पास ऐसे सबसे ज्यादा सरकारी डीजल वाहन हैं जो पंद्ह साल से ज्यादा पुराने हैं और उनका रेगुलर पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) सर्टिफिकेट भी नहीं लिया जाता है, जबकि नियम के तहत ऐसे वाहनों तो सड़क पर चल भी नहीं सकते। ऐसे में अब एयर पॉल्यूशन को रोकने के लिए दोनों शहरों के नगर निगम वर्तमान डीजल वाहनों को सीएनजी वाहनों में कन्वर्ट करेंगे। गौरतलब है इंदौर में कचरे से सीएनजी बनाने का एशिया का सबसे बड़ा प्लांट लग चुका है, जबकि भोपाल में सीएनजी प्लांट जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा। ऐसे में इंदौर और भोपाल में डीजल वाहनों को सीएनजी में कन्वर्ट किया जाएगा, वहीं नए वाहनों के बेड़े में भी ई-व्हीकल और ग्रीन एनर्जी से चलने वाले वाहनों की ही खरीद होगी। प्रदेश के पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग के मुताबिक नवीन उर्जा के स्रोत पर्यावरण संरक्षण के साथ किफायती भी हैं लिहाजा सरकार अब इस नवाचार का दायरा बढ़ाएगी।
इस नवाचार में ये संस्थांएं भी मददगार
एमपी में इंदौर और भोपाल को क्लीन के साथ ग्रीन सिटी बनाने की कवाय़द क्लीन एयर केटेलिस्ट (सीएसी) नामक ग्रुप ने की थी। इस संस्था के साथ जुड़कर यूएस एड, वर्ल्ड रिसोर्स सेंटर, इंटर न्यूज़, व्हाइटल स्टेटेजीज , इन्वायर डिफेंस फंड, क्लीन एयर कोलेशन फार सिटीज , क्लाइमेट एंड क्लीन एयर कोलेशन जैसी ग्लोबल संस्थाओं ने पहले इंदौर फिर प्रदेश के अन्य शहरों को पॉल्यूशन फ्री करने का प्लान तैयार किया है। विगत जून माह में इंदौर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क की मीडिया वर्कशॉप में वैकल्पिक और नवीन ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की सलाह सरकार और नगरीय निकायों को दी गई थी। पर्यावरण संरक्षण से जुड़ीं सीनियर जर्नलिस्ट स्टेला पॉल के मुताबिक यदि इंदौर और भोपाल को वाकई साफ के साथ पर्यावरण हितैषी शहर बनाना है तो पहली प्राथमिकता डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहनों पर लगाम लगाने की होनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार जॉयदीप गुप्ता कहते हैं कि ग्रीन एनर्जी के उपयोग से शहरी क्षेत्रों में वाहनों के साइलेंसर से जहरीला धुंआ और विषैले तत्व नहीं निकलेंगे, जिसका सीधा असर शहर के पर्यावरण सुधार के रूप में दिखाई देगा।