World Air Quality Report 2023 : बिहार का बेगूसराय दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर, 134 देशों में पहले पर बांग्लादेश, जानिए AQI रैंकिंग में भारत का स्थान
WHO के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल तकरीबन 70 लाख लोगों की वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले मौत हो जाती है।
नई दिल्ली। स्विस संगठन IQAir ने वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2023 जारी कर दी है। इस रिपोर्ट में नई दिल्ली सबसे प्रदूषित हवा वाली राजधानियों में पहले नंबर पर है। आपको बता दें कि दिल्ली लगातार चौथी बार टॉप पर आई है। इसी के साथ 134 देशों की लिस्ट में भारत प्रदूषित हवा के मामले में तीसरे नंबर पर हैं। 2022 में प्रदूषित हवा वाले देशों की सूची में भारत आठवें स्थान पर था।
वहीं, बिहार का बेगूसराय दुनिया का सबसे प्रदूषित नगर बन गया है। जबकि, 2022 में इस लिस्ट में बेगूसराय का नाम भी नहीं था। 134 देशों की लिस्ट में बांग्लादेश दुनिया में सबसे खराब हवा वाला देश रहा। वहीं, इस सूची में पाकिस्तान भारत से एक कदम आगे यानी दूसरे नंबर पर है। इससे पहले जनवरी 2023 में आई सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ (सीआरईए) की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मेघालय का बर्नी हॉट सबसे प्रदूषित भारतीय शहर है। इसके बाद बिहार का बेगूसराय और यूपी का ग्रेटर नोएडा था।
134 देशों के 7,812 स्थानों को किया गया था शामिल
इस रिपोर्ट के लिए दुनिया भर के वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों और सेंसर के एक व्यापक नेटवर्क से डाटा लिया जाता है। जिसमें कई संगठन, संस्थान और वैज्ञानिक शामिल होते हैं। 2023 की रिपोर्ट में 134 देशों में 7,812 स्थानों को शामिल किया गया है। जिनमें से बेगूसराय सबसे प्रदूषित महानगर, जबकि 2022 में 131 देशों के 7,323 स्थानों को शामिल किया गया था।
हर साल प्रदूषण से 70 लाख लोगों की मौत
WHO के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल तकरीबन 70 लाख लोगों की वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले मौत हो जाती है। पीएम 2.5 को फाइन पार्टिकुलेट मैटर कहा जाता है। ये कण 2.5 माइक्रोन या छोटे आकार के होते हैं और ये सांस लेने के दौरान निचले श्वसन तंत्र तक पहुंच जाते हैं। पीएम 2.5 वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा, कैंसर, आघात और फेफड़ों की बीमारी समेत अनेक बीमारियां हो सकती हैं।
भारत में 1.33 अरब यानी 96% लोग ऐसी हवा में रहते हैं, जिसमें PM 2.5 का स्तर WHO के एनुअल स्टैंडर्ड से 7 गुना ज्यादा है। वहीं देश के 66% शहरों में एनुअल PM 2.5 का स्तर 35 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा रहा।